रजनी सेन की हास्य कविता
तारे बोले चंदा से
आज तो अपना मूड खराब
जाना था हमको पिकनिक पर
लेकिन गुम हो गए जुराब
चंदा बोला अपनी भी तो
हालत आज नहीं है ठीक
खाली छिप कर दो दो कुल्फी
रुकी नहीं है अब तक छींक
बादल बोला मुझको भी तो
जाना था आज बाज़ार
चोरी से जो टॉफी खाई
गुल्लक में बस पैसे चार
तभी वहां पर सूरज आया
भींचा था अपनी मुट्ठी
आज मुझे न मिली जलेबी
मेरी है सबसे कुट्टी
धरती बोली छोड़ो रोना
आओ मनाएं सब त्यौहार
हल्ला गुल्ला धमा चौकड़ी
आज तो है अपना इतवार